केंद्रीय बजट में राजस्थान काे कुछ खास नहीं मिला। रेल परियाेजनाएं सहित अन्य किसी भी क्षेत्र में किसी बड़ी याेजना का ऐलान नहीं हुआ है, साथ ही प्रदेश को अलग-अलग मदाें में मिलने वाली राशि में 20000 करोड़ रु. से ज्यादा की कमी की गई है। राज्य के वित्त विभाग की ओर से जारी आंकड़ाें के अनुसार वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में 46,411 करोड़ रु. देने का प्रावधान रखा गया था, जिसे संशोधित अनुमान में घटाकर 36049 करोड़ रु. कर दिया गया है।
राज्य को मिलने वाली करों में हिस्सा राशि में 10362 की कमी आई
इस प्रकार राज्य को मिलने वाली करों में हिस्सा राशि में कुल 10362 करोड़ रु. की कमी आई है। इसके अलावा वर्ष 2019-20 के बजट अनुमानों में विभिन्न योजनाओं के लिए घोषित केन्द्रीय अनुदान राशि में 4000 करोड़ रु. सहित अन्य मदाें में करीब 10 हजार कराेड़ रुपए की कटाैती की गई है। समस्त योजनाओं के क्रियान्वयन में कटौतियां राज्य के विकास में बाधक होंगी। मुख्यमंत्री के साथ राज्य में वित्त विभाग का प्रभार संभाल रहे अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्रीय बजट में मनरेगा और ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं के लिए प्रावधान को बढ़ाया नहीं गया है। केंद्र सरकार ने मनरेगा संसद की ओर से पारित अधिनियम से लागू किया है। इसमें भी मजदूरों को दिया जाने वाला पैसा समय पर जारी नहीं किया जा रहा है। रक्षा क्षेत्र तथा खेलों को बढ़ावा देने के लिए भी किसी योजना का जिक्र नहीं है।
इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाई; स्टोन और ज्वैलरी 1% तक महंगी होगी
बजट में कलर स्टोन की रफ पर 0.5 फीसदी इम्पोर्ट ड्यूटी से जयपुर के करीब तीन हजार करोड़ रुपए के जवाहरात उद्योग को झटका लगा है। इससे प्रिशियस और सेमी प्रिशियस कलर स्टोन एक फीसदी तक महंगे होने का अनुमान है। स्टोन ज्वैलरी की कीमतें भी एक फीसदी तक बढ़ जाएगी। कलर स्टोन और ज्वैलरी महंगी होने से घरेलू बाजार में आभूषण कारोबार और निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है। उधर, राजस्थान के लिए 4137 करोड़ रु. की सीएसटी क्षतिपूर्ति राशि जारी नहीं की गई है। केंद्र ने प्रदेश को चार महीने के जीएसटी राजस्व के रूप में 2़600 करोड़ रु. का भुगतान नहीं हुआ है।
आशा थी कि वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए कुछ ठोस कदम उठाएंगी: गहलाेत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि देश नहीं झुकने दूंगा, देश नहीं बिकने दूंगा का दावा करने वाले एक-एक कर देश के सभी बड़े सरकारी उपक्रमाें काे बेचने में लगे हैं। एयर इंडिया बाद अब माेदी सरकार ने बजट में एलआईसी, आईडीबीआई जैसे संस्थानाें काे बेचने और रेलवे के निजीकरण का ऐलान कर दिया। आशा थी कि वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए कुछ ठोस कदम उठाएंगी, लेकिन बजट घाेर निराशावादी साबित हुआ। अर्थव्यवस्था को रिवाइव करने के लिए कोई ठोस बात नहीं हुई, न ही उन कारणों पर बात की गई है, जिनसे अर्थव्यवस्था में मंदी है। नौकरियों के सृजन और अवसर बढ़ाने की भी कोई योजना नहीं है। जब ग्रोथ के लिए विजन नहीं होगा और नौकरियों के सृजन की योजना नहीं होगी तो अर्थव्यवस्था कैसे सुधरेगी? यह मात्र शब्दों की बाज़ीगरी थी जिसमें आम आदमी या उद्योगों को राहत देने पर
कोई फोकस नहीं था।
भारतीयों की सभी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम : वसुंधरा
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि मोदी सरकार का सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास के ध्येय से परिपूर्ण बजट भारत और भारतीयों की सभी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। जहां कांग्रेस सरकारों ने कभी टैक्स में कमी करने जैसा कदम नहीं उठाया, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार लगातार आयकर में कमी कर करदाताओं को बड़ी राहत प्रदान कर रही है। कृषि, शिक्षा व बुनियादी विकास के क्षेत्र में जो राशि आवंटित की है, वह भी ऐतिहासिक है।